हिंदू शास्त्रों, वैदिक व सनातन संस्कृति में शंख का बहुत महत्व है। शास्त्रों में भी इस बात का भी उल्लेख है कि समंदर मंथन से जिन 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थी, उनमें शंख भी एक था। हमारे वैदिक कर्मकांड में तो कोई भी धार्मिक प्रायोजन शंख के बिना अधूरा माना जाता है और पूजा पाठ में शंख को विशेष महत्ता दी जाती है। शंख चाहे छोटा हो या बड़ा, इसकी पावनता और महत्व बेमिसाल है। वास्तु शास्त्र और ज्योतिष में भी शंख का अत्यंत महत्त्व है। इसे कुबेर का प्रतीक माना गया है। कई ग्रहों के बुरे प्रभाव को हम शंख के माध्यम से शांत कर सकते हैं। खराब ग्रहों को अपने अनुकूल बना सकते हैं।
अगर आपकी कुंडली में चंद्रमा ठीक स्थिति में नहीं है, अशुभ स्थिति में है या नीच का है तो सोमवार को शंख में दूध भरकर भगवान शिव को चढ़ाने से चंद्रमा दोष ठीक हो जाता है।
मंगल ग्रह कुंडली में अशुभ प्रभाव दे रहा है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। मंगलवार को शंख बजाकर अगर सुंदरकांड का पाठ करेंगे तो मंगल का बुरा प्रभाव खत्म होता जाएगा।
बुध ग्रह नीच का है, अशुभ स्थिति में है या बुध नुकसान दे रहा है तो बुधवार के दिन शंख में जल व तुलसी डालकर शालिग्राम जी का अभिषेक करने से बुध ग्रह ठीक हो जाता है।
शंख में रखे पानी को घर में छिड़कने से घर का वातावरण शुद्ध होता है, सकारात्मक ऊर्जा आती है।
शंख में रखे जल का सेवन करने से हड्डियां मजबूत होती हैं क्योंकि शंख में कैल्शियम फास्फोरस और गंधक जैसे गुणकारी तत्व भी पाए जाते हैं। शंख बजाने से फेफड़े मजबूत रहते हैं। ह्रदय संबंधी बीमारियों से भी हम बचे रहते हैं। ये हेल्दी रहने के लिए बेहतर टॉनिक है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि शाम को घर में शंख बजाने से कई जीवाणुओं और कीटाणुओं का नाश होता है। इसकी ध्वनि से हमारे आसपास का वातावरण पवित्र रहता है।
शंख कई प्रकार के होते हैं लेकिन मुख्य रूप से शास्त्रों और ज्योतिष में 3 शंखों को अत्यंत महत्व दिया गया है। ये हैं- दक्षिणावर्ती शंख, वामावर्ती शंख और मध्यवर्ती या गणेश शंख।
पुराणों के अनुसार शंख में देवताओं का वास होता है। शंख के मध्य भाग में वरुण देव, पृष्ठ में ब्रह्मा जी और अग्र भाग में मां सरस्वती का निवास होता है। यह भी मान्यता है कि जिस घर में शंख होता है, वहां भगवान विष्णु का वास होता है और जहां भगवान विष्णु होंगे, वहां महालक्ष्मी स्वयं आ जाती हैं।
भगवान विष्णु के हाथों में भी शंख है, जिसका नाम पांचजन्य है। अगर महाभारत काल की बात करें तो महाभारत काल के दौरान भगवान कृष्ण के पास भी पांचजन्य शंख था और ऐसा बताया जाता है कि इस शंख की आवाज कई किलोमीटर तक पहुंचती थी लेकिन यह शंख अब मौजूद नहीं है।
वास्तु शास्त्र और ज्योतिष के नज़रिए से यह बताना चाहूंगा कि घर में शंख रखने से वास्तु दोषों से भी मुक्ति मिलती है और सकारात्मक ऊर्जा भी आती है। यही नहीं जिस घर में शंख होता है, वहां धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है। ऐसी भी मान्यता है कि शंख के जल से भगवान शिव व मां लक्ष्मी का अभिषेक करने से वे बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं और उनका भरपूर आशीर्वाद मिलता है। जिस घर में दक्षिणावर्ती शंख होता है, उस घर के सदस्यों को रोजाना इस शंख के दर्शन करने चाहिए।
अपने अक्सर तस्वीरों अथवा प्रतिमाओं में देखा होगा कि माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु अपने हाथों में शंख धारण करते हैं। इसी से शंख की धार्मिक महत्ता भी पता चलती है। शंख की ध्वनि से मन में सकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है, सकारात्मक विचार पैदा होते हैं और जब हम सकारात्मक ऊर्जा से लैस हो जाते हैं तो घर से नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है। घर में सुख-समृद्धि व खुशहाली दस्तक देने लगती है। घर के जिस हिस्से में वास्तु दोष होता है, वहां शंख रखने भर से वास्तु दोष खत्म हो जाता है।
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