कुछ लोग आर्थिक रूप से संतुष्ट न होने के कारण असली रत्न धारण नहीं क्र सकते|वैसे भी आज के युग में असली रत्न बहुत ही कठिनाई से मिलता है और अगर मिलता भी है तो बहुत अधिक मूल्य होता है| कम मूल्य का नकली रत्न धारण की अपेक्षा उस रत्न की प्रतिनिधि जड़ी धारण करने से भी व्ही फल प्राप्त होता है| जड़ी का परभाव भी असली रत्न जैसा ही होता है|इस जड़ी को अभिमंत्रित ही लें अथवा उस गृह के एक दिन पहले आप उस जड़ी के वृक्ष पर धुप,दीप,अगरबती व् दुग्ध के साथ काली उडद,सरसों व् चावल लेकर जाएँ और वृक्ष के समीप जाकर उडद व सरसों वृक्ष के चारों और फैंक दे|

इसके साथ प्रणाम कर के आ जायें|अगले दिन प्रात्त:स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर चांदी की अथवा शुद्ध की गयी सामन्य छुरी लेकर जाएँ और पून:धुप,दीप अर्पित कर जाध पर तिलक क्र कलावा बाँध कर धीरे धीरे काटें|
घर आकर जड़ी को गंगाजल से स्नान करा कर धुप-दीप से उसका पूजन कर उस गृह के रंग के वस्त्र में बाँध कर गृहदेव से निवेदन करें की "हे ग्रेह्देव मैं आपकी प्रतिनिधि अमुक जड़ी धारण कर रहा हूँ अतः आप मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें"|यह ख कर उस गृह के २१ बार मन्त्र जाप करते हुए अगरबती पर घुमाकर गृहदेव का स्मरण कर अपने इष्टदेव से स्पर्श करवा कर धारण करें|निम्न जड़ी ग्रहों के अनुसार हैं:
ग्रह जड़ी
सूर्य बेल की जढ
चन्द्र खिरनी
मंगल अनंतमूल और लाल चन्दन
बुध विधारा
गुरु केले की जढ और हल्दी
शुक्र सरपोंखा
शनि बिछुआ
राहू सफेद चंदन
केतु असगंध
No comments:
Post a Comment